राष्ट्रीय राजमार्गों पर जगह-जगह टोल टैक्स वसूली की नीति सुप्रीम कोर्ट के
निशाने पर है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि यदि सड़कें ही पूरी
तरह दुरुस्त नहीं हैं तो फिर टोल टैक्स किसी बात का लिया जा रहा है। जस्टिस
डीके जैन और अनिल आर दवे की बेंच ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण
(एनएचएआई) से टोल टैक्स नीति पर सफाई मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने
सवाल में कहा कि, 'आपकी नीति क्या है। जनता को उसके बारे में पता होना
चाहिए। सड़कों का निर्माण केवल बिल्डर्स और ठेकेदारों के फायदे के लिए नहीं
होना चाहिए। हम आपकी नीति को नहीं समझ पा रहे हैं। यदि आप अच्छी सड़क ही
नहीं मुहैया करा सकते तो फिर लोग टोल टैक्स क्यों दें? सड़कों की हालत
देखिए। इससे आए दिन गंभीर हादसे होते हैं। लेकिन फिर भी यात्रियों को टोल
टैक्स देना होता है।' सुप्रीम कोर्ट एक एनजीओ 'पीपुल्स वॉइस' की जनहित
याचिका पर सुनवाई कर रहा था। एनजीओ ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय
राजमार्गों पर मनमाना टोल टैक्स वसूलने से रोकने के लिए निर्देश की मांग की
है। हालांकि यह याचिका दिल्ली को गुडग़ांव से जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 के सिलसिले में थी। लेकिन कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा
कि वह याचिका को पूरे देश के लिए विस्तृत करे। शीर्ष कोर्ट की बेंच टोल
टैक्स वसूलने के तरीके पर नाखुश दिखी। कोर्ट ने कहा पहले आपने आठ लेन का
राजमार्ग बनाया। अब पुल बनाने के नाम पर आपने इसे फिर से खोद डाला। आप फिर
भी उनसे टोल टैक्स वसूल रहे हैं। वह भी हर 10-15 किलोमीटर पर। यह आम लोगों
के लिए उचित नीति नहीं है।