दांतों में ठंडा- गरम लगना एक बहुत आम समस्या है। हाजमा दुरुस्त नहीं रहने के कारण एसिडिटी इसकी एक बड़ी वजह है। बहुत अधिक एसिडिटी हो जाने पर पेट का एसिड खट्टे पानी के रूप में मुंह में आता रहता है। कैल्शियम से बने दांत की परत एसिड के संपर्क में आने से गलने लगती है। दांत का सुरक्षा कवच गलकर निकल जाने से ही दांतों में ठंडा या गरम महसूस होता है।
खाने-पीने की खराब आदतों एवं बढ़ते तनाव की वजह से एसिडिटी बढ़ती चली जा रही है। साथ ही सवाल उठता है कि दांत में ऐसा क्या हो जाता है कि उसे ठंडा पानी बर्दाश्त नहीं होने लगता है। दांत के भीतर के संवेदनशील भागों की रक्षा के लिए सबसे ऊपर एक परत होती है जिसे एनेमेल कहते हैं। लेकिन हमारी विभिन्न बुरी आदतों की वजह से वह परत पतली होती चली जाती है। एनेमेल के भीतर की परत को डेंटीन कहते हैं।
डेंटीन तक तो ठीक है लेकिन जैसे ही डेंटीन की परत घिस जाती है तो पल्प आ जाता है जिसके भीतर नर्व (तंत्रिका) होता है। जब डेंटीन का आवरण भी घिस कर खत्म हो जाता है तो फिर नर्व के पानी के संपर्क में आने से इसमें दर्द होने लगता है।
खाने, पीने, चबाने की अपनी खराब आदतों से दांत की रक्षा के लिए बनी ऊपरी परत को नुकसान पहुंचाने वालों के लिए भारी कष्ट का मौसम ठंड का होता है। जाड़े में इन 'नंगे' हुए दांतों को जो ठंड लगती है, उसके दर्द से पूरा शरीर सिहर उठता है। सुबह उठते ही ठंडे पानी से कुल्ला करते ही दांत में दर्द होने लगता है।
दांतों के लिए ऊपरी परत समझिए एक स्वेटर की तरह ही है। कोल्ड ड्रिंक्स भी इस समस्या की वजह बन रही है। कोल्ड ड्रिंक्स (सभी एयरेटेड ड्रिंक्स) में भी अम्ल होता है। वह भी एनेमेल को एसिडिटी की तरह ही नुकसान पहुंचाता है। आज कल छोटे-छोटे बच्चे इस समस्या के साथ आने लगे हैं।
कई तरह से लगती है सुरक्षा कवच में सेंध
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दरअसल होता यह है कि पान के साथ सुपारी चबाते रहने से उनका नर्व तो बाहर निकल आता है। लेकिन कत्थे की परत पानी से नर्व को बचाती रहती है। पान खाना छोड़ते ही पानी सीधे नर्व के संपर्क में आ जाता है। कुछ लोगों को नींद में दांत किटकिटाने की आदत होती है। इससे भी एनेमेल झड़ता है।
हमेशा च्यूंगम चबाते रहने, पेंसिल चबाते रहने से जैसी आदतें भी एनेमेल को दांतों में ठंडा गरम लगना एक बहुत आम समस्या है। हाजमा दुरुस्त नहीं रहने के कारण एसिडिटी इसकी एक बड़ी वजह है। बहुत अधिक एसिडिटी हो जाने पर पेट का एसिड खट्टे पानी के रूप में मुंह में आता रहता है।
कैल्शियम से बने दांत की परत एसिड के संपर्क में आने से गलने लगती है। दांत का सुरक्षा कवच गलकर निकल जाने से ही दांतों में ठंडा या गरम महसूस होता है।
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नींबू और संतरे के रस भी एनेमेल को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन उतना नहीं। सुपारी खाने की आदत से भी दांत घिस जाते हैं। बहुत लोग होते हैं जो दिन भर सुपारी चबाते रहते हैं। इससे एनेमेल घिस जाता है। बहुत पान खाने वाले जब पान खाना छोड़ देते हैं तो उनको दांतों में ठंडा लगने लगता है।
- विशेष टूथपेस्ट: संवेदनशील दांतों के लिए विशेष टूथपेस्ट उपलब्ध हैं। साधारण टूथपेस्ट के बजाय इनका उपयोग करें। व्हाइटनरयुक्त टूथपेस्ट का उपयोग नहीं करें, यह दांतों पर कठोरता से काम करते हैं। इनसे तकलीफ बढ़ जाती है।
- ब्रश हो नरम : सॉफ्ट या एक्स्ट्रा सॉफ्ट ब्रश का ही उपयोग करें। कड़क ब्रिसल्स से दांत घिसने लगते हैं। दांत संवेदनशील होने पर अक्सर लोगों को ब्रश करते हुए दर्द उठता है। कड़क ब्रिसल्स प्राकृतिक रूप से होने वाली मरम्मत के काम में भी अवरोध पैदा करते हैं। दांतों पर हल्के से ऊपर-नीचे ब्रश करें। ब्रश करने का तरीका गलत होने पर भी संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
खाने-पीने की खराब आदतों एवं बढ़ते तनाव की वजह से एसिडिटी बढ़ती चली जा रही है। साथ ही सवाल उठता है कि दांत में ऐसा क्या हो जाता है कि उसे ठंडा पानी बर्दाश्त नहीं होने लगता है। दांत के भीतर के संवेदनशील भागों की रक्षा के लिए सबसे ऊपर एक परत होती है जिसे एनेमेल कहते हैं। लेकिन हमारी विभिन्न बुरी आदतों की वजह से वह परत पतली होती चली जाती है। एनेमेल के भीतर की परत को डेंटीन कहते हैं।
डेंटीन तक तो ठीक है लेकिन जैसे ही डेंटीन की परत घिस जाती है तो पल्प आ जाता है जिसके भीतर नर्व (तंत्रिका) होता है। जब डेंटीन का आवरण भी घिस कर खत्म हो जाता है तो फिर नर्व के पानी के संपर्क में आने से इसमें दर्द होने लगता है।
खाने, पीने, चबाने की अपनी खराब आदतों से दांत की रक्षा के लिए बनी ऊपरी परत को नुकसान पहुंचाने वालों के लिए भारी कष्ट का मौसम ठंड का होता है। जाड़े में इन 'नंगे' हुए दांतों को जो ठंड लगती है, उसके दर्द से पूरा शरीर सिहर उठता है। सुबह उठते ही ठंडे पानी से कुल्ला करते ही दांत में दर्द होने लगता है।
दांतों के लिए ऊपरी परत समझिए एक स्वेटर की तरह ही है। कोल्ड ड्रिंक्स भी इस समस्या की वजह बन रही है। कोल्ड ड्रिंक्स (सभी एयरेटेड ड्रिंक्स) में भी अम्ल होता है। वह भी एनेमेल को एसिडिटी की तरह ही नुकसान पहुंचाता है। आज कल छोटे-छोटे बच्चे इस समस्या के साथ आने लगे हैं।
कई तरह से लगती है सुरक्षा कवच में सेंध
हमेशा च्यूंगम चबाते रहने, पेंसिल चबाते रहने से जैसी आदतें भी एनेमेल को दांतों में ठंडा गरम लगना एक बहुत आम समस्या है। हाजमा दुरुस्त नहीं रहने के कारण एसिडिटी इसकी एक बड़ी वजह है। बहुत अधिक एसिडिटी हो जाने पर पेट का एसिड खट्टे पानी के रूप में मुंह में आता रहता है।
कैल्शियम से बने दांत की परत एसिड के संपर्क में आने से गलने लगती है। दांत का सुरक्षा कवच गलकर निकल जाने से ही दांतों में ठंडा या गरम महसूस होता है।
- विशेष टूथपेस्ट: संवेदनशील दांतों के लिए विशेष टूथपेस्ट उपलब्ध हैं। साधारण टूथपेस्ट के बजाय इनका उपयोग करें। व्हाइटनरयुक्त टूथपेस्ट का उपयोग नहीं करें, यह दांतों पर कठोरता से काम करते हैं। इनसे तकलीफ बढ़ जाती है।
- ब्रश हो नरम : सॉफ्ट या एक्स्ट्रा सॉफ्ट ब्रश का ही उपयोग करें। कड़क ब्रिसल्स से दांत घिसने लगते हैं। दांत संवेदनशील होने पर अक्सर लोगों को ब्रश करते हुए दर्द उठता है। कड़क ब्रिसल्स प्राकृतिक रूप से होने वाली मरम्मत के काम में भी अवरोध पैदा करते हैं। दांतों पर हल्के से ऊपर-नीचे ब्रश करें। ब्रश करने का तरीका गलत होने पर भी संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
TIPS
स्वस्थ रखें दांत
10 ग्राम बायविडंग और 10 ग्राम सफेद फिटकरी थोड़ी कूटकर तीन किलो पानी में उबालें। एक किलो बचा रहने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें। तेज दर्द में सुबह तथा रात को इस पानी से कुल्ला करने से दो दिन में ही आराम आ जाता है। कुछ अधिक दिन कुल्ला करने से दाँत पत्थर की तरह मजबूत हो जाते हैं।
अमरूद के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करने से दाँत और दाढ़ की भयानक टीस और दर्द दूर हो जाता है। प्रायः दाढ़ में कीड़ा लगने पर असहय दर्द उठता है। काढ़ा तैयार करने के लिए पतीले में पानी डालकर उसमें अंदाज से अमरूद के पत्ते डालकर इतना उबालें कि पत्तों का सारा रस उस पानी में मिल जाए और वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।
अमरूद के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करने से दाँत और दाढ़ की भयानक टीस और दर्द दूर हो जाता है। प्रायः दाढ़ में कीड़ा लगने पर असहय दर्द उठता है। काढ़ा तैयार करने के लिए पतीले में पानी डालकर उसमें अंदाज से अमरूद के पत्ते डालकर इतना उबालें कि पत्तों का सारा रस उस पानी में मिल जाए और वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।
यह सही है कि दांत के दर्द का इलाज महंगा होता है लेकिन अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए और कुछ आदतें डाल ली जाएं तो आप लंबे समय तक दांतों के डॉक्टर के पास जाने से बच सकते हैं क्योंकि डेंटिस्ट के पास लगातार जाना किसी सिरदर्द से कम नहीं है। यहां पेश है ऐसे ही 10 खास तरीके जिन्हें आजमा कर आप चमकती मुस्कान पा सकते हैं।
1. दिन में कम से कम आठ से दस ग्लास पानी पिएं। जितना पानी आप पिएंगें उतना ही आपके दांत साफ होंगें। इसके अलावा यह चाय, कॉफी, शराब, सोडा आदि के दागों को भी दांतों से मिटाने में कारगर साबित होगा।
2. अपने खाने में फल और सब्जी शामिल करें। सेब, खीरा, गाजर आपके दांतों को प्राकृतिक रूप से साफ करते हैं। यह आपके दांतों में फंसे खाने को भी निकालते हैं और मसूड़ों की समस्या दूर होती है।
3. खाने के बाद पनीर का टुकड़ा खाने से आपके दांत चमकदार रहते हैं।
4. शुगर फ्री च्यूइंगम खाने से सलाइवा का निर्माण होता है जो आपके दांतों से प्लाक एसिड को साफ करता है। साथ ही आपके दांतों के इनैमल को मजबूत बनता है।
5. जूस और सोडा पीने के बाद ब्रश नहीं करना चाहिए। हो सके तो कॉफी और वाइन स्ट्रॉ से पिएं। इससे इनका सीधा संपर्क आपके दांतों से नहीं हो पाएगा और आपके दांत हमेशा चमकते रहेंगें।
6. हमेशा सॉफ्ट ब्रश का इस्तेमाल करें। अगर आप सख्त ब्रश का इस्तेमाल करते हैं तो उसे कुछ देर गर्म पानी मे डुबोकर फिर ब्रश करें।
7. चॉकलेट व कैंडी बार भी आपके दांतों के लिए नुकसानदेह हैं। इनकी जगह बादाम, वेजमाइट क्रैकर्स चीज के साथ दही और ताजा फल आदि खाना चाहिए।
8. दांतों के साथ ही जीभ की सफाई भी जरूरी है। टंग क्लीनर का इस्तेमाल रोजाना करें। यह आपके दांतों को हाईजीनिक बनाएं रखता है, साथ ही मुंह से आने वाली बदबू को भी दूर करता है।
9. चीनी और स्टॉर्च का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। यह बैक्टीरिया पैदा करते हैं जो आपके दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं।
10. खाने के बाद दांतों को हाइड्रोजन पेरॉक्साइड से साफ करना चाहिए, ताकि आपके दांतों से बैक्टीरिया दूर हों और वे सुंदर दिखें। मगर हमेशा एक बात का ध्यान रखें कि हाइड्रोजन पेरॉक्साइड को निगलना नहीं चाहिए। इससे सिर्फ गरारे करने चाहिए।
Harpreet Singh
9463694008