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सामने आया साइबरवर्ल्ड का सबसे बड़ा वायरस,

मास्को.एक ऐसे साइबर वायरस का पता चला है जो कंप्यूटर पर हमला करके उसे जासूस बना देता है और बिना पकड़ में आए तमाम जानकारियां चुरा लेता है। यह बेहद खतरनाक वायरस पिछले दो साल से साइबर स्पेस में मौजूद था लेकिन इसे हाल ही में पकड़ा गया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह वायरस अब तक के सबसे चर्चित कंप्यूटर वायरस 'स्टक्सनेट' और 'डूकू' से भी खतरनाक है। इस वायरस को सबसे पहले मास्को स्थित केस्परस्काई लैब के सुरक्षा विशेषज्ञों ने पकड़ा है। माना जा रहा है कि इस बेहद खतरनाक वायरस को किसी देश ने बनाया है। केस्परस्काई के विशेषज्ञ एलेक्सेंडर गोस्तोव ने अपने केस्परस्काई की वेबसाइट पर ब्लॉग पर लिखा, 'डूकू और स्टक्सनेट ने मिडिल इस्ट में चल रहे साइबर युद्ध को और भीषण कर दिया था लेकिन अब हमें साइबर स्पेस का सबसे खतरनाक वायरस मिला है।' मास्को में स्थित केस्परस्काई लैब, ईरान की मेहर कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम को आर्डिनेशन सेंटर और हंगरी की बुडापेस्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इकोनॉमिक्स की क्रिप्टोग्रॉफी एंड सिस्टम सिक्यूरिटी लैब ने साइबर हमलों के अध्ययन के दौरान इस ट्रोजन को पकड़ा।फ्लेम, फ्लेमर या स्काईवाइपर नाम का यह ट्रोजन हमला करके किसी भी कंप्यूटर को जासूसी मशीन में बदल सकता है। यह मशीन पर हमला करके उसके नेटवर्किंग ट्रैफिक पर नजर रख सकता है, स्क्रीनशॉट लेकर उन्हें अपने कमांड सेंटर भेज सकता है, कंप्यूटर के माइक्रोफोन के जरिए इसे इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की आवाज रिकार्ड कर सकता है, पासवर्ड चुरा सकता है, कीबोर्ड पर कौन से बटन दबाए जा रहे हैं उन्हें पहचान सकता है, ब्लूटूथ के जरिये कंप्यूटर से अन्य डिवाइस को जोड़कर उनका डाटा डिलीट कर सकता है। इस वायरस के अभी तक सबसे ज्यादा हमले मध्यपूर्व एशिया और अफ्रीका में हुए हैं। ईरान में इसके अब तक 168 हमले हुए हैं। वायरस से नहीं बचाएगी एफबीआई, बंद होंगे लाखों कंप्यूटर ईरान पर हमला हो सकता है 'फ्लेम' का टारगेट मारो या ज़िंदा पकड़ो . 

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Harpreet Singh
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नया प्रवेश द्वार

केंद्रीय इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए घोषित परीक्षा की नई व्यवस्था के दो लाभ जाहिर हैं। अब छात्रों को आईआईटी, एनआईटी और अन्य केंद्रीय इंजीनियरिंग कॉलेजों के दाखिला इम्तिहान में हिस्सा लेने के लिए अलग-अलग फॉर्म नहीं भरने होंगे। फिर 2013 से होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बारहवीं कक्षा में प्राप्त अंको को भी महत्व दिया जाएगा। इससे छात्रों के लिए स्कूली पढ़ाई को गंभीरता से लेना आवश्यक हो जाएगा। दूसरी तरफ छात्रों के मूल्यांकन के लिए ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) में प्रदर्शन के साथ-साथ अब स्कूली नतीजा भी आधार होगा, जिससे छात्रों की प्रतिभा एवं योग्यता के आकलन की बेहतर स्थिति बनेगी। अब इंजीनियरिंग में दाखिला पाने के लिए छात्रों को स्कूल में बेहतर नतीजा लाना होगा, ऑब्जेक्टिव सवालों के आधार पर होने वाले जेईई-मेन्स में बुद्धिकौशल दिखाना होगा और हालांकि जेईई-एडवान्स्ड का फॉर्मेट अभी तय होना है, लेकिन यही संभावना है कि उसमें ज्ञान की गहराई परखी जाएगी। इन प्रत्यक्ष लाभों के अलावा सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए समान मानदंड लागू होंगे, जो अलग-अलग संस्थानों में इंजीनियरिंग शिक्षा के स्तर को समान रूप देने के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगा। एक साथ होने वाले टेस्ट में आईआईटी के लिए चुने जाने वाले छात्रों का एक अलग तरीका तय करने में सफलता पा ली गई है। यानी पहले नई परीक्षा व्यवस्था से भारत के इन प्रतिष्ठित संस्थानों के स्तर पर खराब असर पड़ने की आशंकाओं का अब समाधान हो गया है। इसके बावजूद अगर नई व्यवस्था को लेकर किसी स्तर पर कोई शिकायत मौजूद हो, तो सरकार को चाहिए कि वह संवाद से उन्हें दूर करने की कोशिश करे। एक आशंका उन स्कूलों के छात्रों को लेकर है, जो राज्य परीक्षा बोर्डो से जुड़े हुए हैं। कहा गया है कि उनका स्तर सीबीएसई से जुड़े स्कूलों के बराबर नहीं है, जिससे वहां के छात्र नुकसान में रह सकते हैं। अगर ऐसा है, तो उन स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारने का अभियान चलाने की जरूरत है। मगर एक अलग स्तर पर कमजोरी एक अच्छी कोशिश को रोकने का बहाना नहीं हो सकती।

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Harpreet Singh

इन दिनों दुखी हैं देश को आपकी जरूरत है

हममें से अनेक लोग, जो शिक्षित और भावुक हैं और अपने देश को प्यार करते हैं, इन दिनों दुखी हैं। हम देख रहे हैं कि हमारा देश सत्ता में बैठे लोगों की लूट और कुप्रबंधन का शिकार हो रहा है। एक तरफ रुपया गिर रहा है और औद्योगिक उत्पादन दर नकारात्मक हो गई है, वहीं दूसरी तरफ हमारा शीर्ष नेतृत्व संसद में साठ साल पुराने काटरून पर बहस कर रहा है। सरकार ने पूरे देश से जिस लोकपाल बिल का वादा किया था, उसकी उम्मीदें धूमिल हो रही हैं। आर्थिक सुधार अब एक विकल्प नहीं, सख्त जरूरत बन चुका है, लेकिन उसे लेकर भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। नीति निर्माण अचेत है। कॉलेज ग्रेजुएट्स और इंजीनियरों को वे जॉब भी नहीं मिल रहे, जो उन्हें दैनिक वेतनभोगियों जितना मेहनताना दे पाएं। भारत के इतिहास के सबसे बड़े घोटाले में लिप्त लगभग सभी लोग जमानत पर छूट चुके हैं और कोई नहीं जानता कि उनका दोष कब सिद्ध होगा, या कभी होगा भी या नहीं। लोग अक्सर पूछते हैं कि देश की दशा कैसे और कब बदलेगी? इसके लिए क्या किया जाना चाहिए? भूख हड़ताल, क्रांति, मीडिया स्टोरी, मतदाताओं की
शिक्षा या कोई नया टीवी रियलिटी शो? दुर्भाग्य से इन समस्याओं के कोई आसान जवाब नहीं हैं। अपने ध्वस्त हो रहे सिस्टम को जोड़ने के औजार हमारे पास सीमित संख्या में ही हैं। स्वतंत्र मीडिया इन्हीं औजारों में से है। हमारी न्यायपालिका ने भी अन्याय को उजागर करने में अपना योगदान दिया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का अपना महत्व रहा है तो कलाकारों - फिल्मकारों, लेखकों और संगीतकारों - ने भी अपनी भूमिका का निर्वाह किया है। हर वह व्यक्ति, जो अपनी क्षमतानुसार देश में बदलाव लाने के लिए अपनी ओर से कोई योगदान कर सकता है, कर रहा है। लेकिन एक वर्ग ऐसा है, जो देश की स्थिति बदलने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हस्तक्षेप कर सकता है। ये हैं हमारे लोकसेवक और लोकप्रशासक, जिन्हें प्यार से 'बाबू' कहकर पुकारा जाता है। लेकिन दुख की बात है कि इस वर्ग ने अपनी क्षमताओं का उतना उपयोग नहीं किया, जितना वह कर सकता था। देखा जाए तो ये सरकारी अधिकारी और कर्मचारी ही देश को चलाते हैं। देश की प्रशासनिक मशीनरी में हमारे नेताओं की ज्यादा रुचि नहीं रही है। हमारे राजनेता प्रतीकात्मकता पसंद करते हैं, जैसे दलितों के घर भोजन करना, राष्ट्रपति चुनाव या काटरून। या फिर वे वोट बैंक को लुभाने वाले मुद्दों को पसंद करते हैं, जैसे आरक्षण, धर्मस्थलों की स्थापना या राज्यों का विभाजन। लेकिन देश इन लोकसेवकों के कारण ही चल रहा है। रेलवे अधिकारी ही यह सुनिश्चित करते हैं कि ट्रेनें सही समय पर चलें, नगर निगम के पार्षद ही यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारी सड़कें साफ रहें, जूनियर आईएएस अधिकारी जिलों का कामकाज संभालते हैं तो सीनियर आईएएस मंत्रालय चलाते हैं। हमारे देश में आमतौर पर सरकारी कर्मचारी को सुस्त, पुरातनपंथी और भ्रष्ट व्यक्ति माना जाता है। हो सकता है, अनेक बाबू इस धारणा पर खरे भी उतरते हों। लेकिन अनेक अधिकारी-कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो ईमानदार और मेहनती हैं। मेरे ही कई कॉलेज बैचमेट्स सिविल सर्विसेज में काम करते हैं। वे दिन में १२ घंटे प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करते हैं, जबकि वे निजी क्षेत्र में इससे दस गुना अधिक वेतन पर काम कर सकते थे। शायद यह उनका आदर्शवाद है, शायद वे अपने देश को प्यार करते हैं, या शायद वे देश में बदलाव लाना चाहते हैं। वे स्मार्ट लोग हैं। यूपीएससी की परीक्षाएं क्लीयर करना कोई मामूली बात नहीं होती। हमारे लोक प्रशासक सुशिक्षित, मेधावी, प्रभावी और दक्ष होते हैं। लेकिन इसके बावजूद वे उतनी प्रतिष्ठा अर्जित नहीं कर पाते, जितनी कर सकते हैं। और इसकी वजह है : साहस का अभाव। मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि तमाम क्षमताओं के बावजूद हमारे अधिकारी साहस का प्रदर्शन नहीं कर पाते। वे अपने राजनीतिक आकाओं से भयभीत रहते हैं, अपने सालाना मूल्यांकन को लेकर चिंतित रहते हैं, अपने प्रमोशन के बारे में जरूरत से ज्यादा फिक्र करते हैं और कभी भी कॅरियर में पिछड़ना नहीं चाहते। उन्हें जॉब सिक्योरिटी पसंद है। वे चाहते हैं कि बिना कोई विलक्षण काम किए उन्हें साल-दर-साल तरक्की मिलती रहे। अगर वे कोई हस्तक्षेप करते हैं, कोई रचनात्मक सुझाव देते हैं या किसी गलत चीज की ओर इशारा करते हैं तो हो सकता है कि उन्हें इसका नुकसान झेलना पड़े। इसीलिए वे अक्सर यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं। नतीजा यह रहता है कि देश के सर्वाधिक मेधावी व्यक्तियों में शुमार, जो सत्ता के गलियारों के निकट हैं और सही-गलत को अच्छी तरह समझते हैं, जरूरत से बहुत कम हस्तक्षेप कर पाते हैं। वे जॉब कर रहे हैं, लेकिन वे बदलाव के लिए लड़ नहीं रहे। उन्हें कुछ बुनियादी सवालों का जवाब देना चाहिए। वे इतने भयभीत क्यों हैं? इसलिए कि उन्हें पदोन्नति नहीं मिलेगी? वे सचिव नहीं बन पाएंगे? वे किसी सरकारी निवास में एक एक्स्ट्रा बेडरूम फ्लैट पाने का मौका गंवा देंगे? यदि वे भ्रष्ट राजनीतिक वर्ग के विरुद्ध आवाज उठाते हैं तो ज्यादा से ज्यादा क्या हो सकता है? शायद वे अपनी नौकरी गंवा बैठें और अपनी छद्म सत्ता खो दें। तो क्या उन्हें अपनी प्रतिभा पर इतना भी भरोसा नहीं है कि वे अन्यत्र अपनी आजीविका चला सकें? महाभारत में कृष्ण ने अजरुन से कहा था कि एक नैतिक लड़ाई में अपने प्रिय परिजनों से युद्ध करना भी धर्म है। हमारी नौकरशाही को विचार करना चाहिए कि आखिर उसका धर्म क्या है। यदि हमारे अधिकारी चाहें तो किसी भी समाजसेवी, कलाकार या मीडियाकर्मी की तुलना में अधिक तेजी से सिस्टम को दुरुस्त कर सकते हैं। वे खुद सिस्टम का हिस्सा हैं और जानते हैं कि कहां पर क्या चल रहा है। वे देश की सबसे ताकतवर लॉबी हैं। यदि वे आंदोलन करेंगे तो सत्ता के गलियारों को सुनने को मजबूर होना ही पड़ेगा। चुप रहकर अन्याय मत सहन कीजिए, बुराई का हिस्सा मत बनिए, क्योंकि आपमें इतनी प्रतिभा है कि आप अच्छाई का साथ देकर भी कामयाब हो सकते हैं। उठिए और संघर्ष कीजिए। देश को आपकी जरूरत है। 
 
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ये हैं दुनिया के पांच सबसे कर्जदार देश

आपको यह जानकार हैरानी होगी की दुनिया के सबसे विकसित देशों में शुमार देश ही दुनिया के पांच सबसे कर्जदार देशों में शामिल हैं दरअसल इन देशों की अर्थव्यवस्था ने कर्ज का लबादा ओढ़ा हुआ है और अब जब यह लबादा फटने लगा है तो इसमें से कंगाली की तस्वीर दिखने लगी है। इनमें से पांच सबसे कर्जदार देश ये हैं- यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका कुल कर्ज- 14.590 ट्रिलियन डॉलर प्रति व्यक्ति कर्ज- $46,929 कर्ज जीडीपी का प्रतिशत- 94% दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका दुनिया का सबसे कर्जदार देश है। जो इसकी कुल जीडीपी का 94 प्रतिशत है अमेरिका का कर्ज खतरनाक स्तर तक बढ़ चुका है। अमेरिका पर सबसे ज्यादा विदेशी कर्ज है ब्रिटेन कुल कर्ज- 8.981 ट्रिलियन डॉलर प्रति व्यक्ति कर्ज- 144,338 डॉलर कुल जीडीपी का प्रतिशत कर्ज - 400% ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था एक गहरे आर्थिक संकट में फंसती जा रही है देश का बजट घाटा 156 अरब पाउंड्स तक बढ़ चुका है आर्थिक जानकारों के मुताबिक ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में आगे गिरावट के आसार हैं। जर्मनी कुल कर्ज- 4.713 ट्रिलियन डॉलर प्रति व्यक्ति कर्ज- 57,755 डॉलर कुल जीडीपी का प्रतिशत कर्ज-142% रईस देशों में गिने जाने वाले जर्मनी की हालत भी अमेरिका की तरह पतली है। जर्मनी का बजट घाटा 2.3 प्रतिशत बढ़ चुका है यूरो जोन के देशों में जर्मनी की आर्थिक हालत भी चिंताजनक बने हुए हैं। फ्रांस कुल कर्ज- 4.698 ट्रिलियन डॉलर प्रति व्यक्ति कर्ज- 74,619 डॉलर कुल जीडीपी का प्रतिशत कर्ज-182% फ्रांस की आर्थिक समस्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है फ्रांस का बजट घाटा 6% के खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है और यहां बेरोजगारी और बेघर लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है। नीदरलैंड कुल कर्ज- 3.733 ट्रिलियन डॉलर प्रति व्यक्ति कर्ज- 225,814 डॉलर जीडीपी का कुल प्रतिशत कर्ज- 471% 2008 में आई आर्थिक मंदी ने इस देश को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया था और अभी तक यह उससे उबरा नहीं है और एक बार फिर आर्थिक परेशानी इसके सामने खड़ी है। इससे निबटने के लिए इस देश को कई कड़े कदम उठाने होंगे। Related Articles: बैंकों से अब कर्ज कम ले रहे हैं लोग, ऊंचे ब्याज का असर 110 अरब रुपए के कर्ज तले दबी है ये पाकिस्तानी कंपनी! कर्ज ने निकाला ऑयल कंपनियों का तेल भारत की इन 3 कंपनियों पर है 1 लाख करोड़ का कर्ज! एमटीएनएल ने कर्ज भुगतान के लिए जुटाए 500 करोड़ कर्ज के जाल में फंस गई ये दिग्गज कंपनी, अप संपत्ति बेचने की तैयारी! कर्ज में डूबा अमेरिका और डॉलर के समुद्र में डूबी अमेरिकी कंपनियां .

कोई भी स्‍क्रीन अटैच हो सकने वाला 5000 का कंप्‍यूटर लॉन्‍च

बाजार में अब सस्ते टैबलेट की तरह ही सस्ते कंप्यूटर भी मिलने शुरू हो गए हैं। 5000 रुपये में मिलने वाले इस कंप्यूटर को एक चाइनीज कंपनी ने लॉन्च किया है। इस कंप्यूटर में किसी भी स्क्रीन का अटैच हो जाना इसकी सबसे बड़ी खासियत है। छोटे साइज के इस कंप्यूटर में बड़े कंप्यूटर जैसी लगभग सभी तरह की खासियत मौजूद है। 4.0 वर्जन वाले इस कंप्यूटर में मिनीस्क्यूल ड्राइव और जानदार प्रोसेसर दिया गया है। वहीं इसमें 1 गीगाहर्ट का कार्टेक्स ए8 चिप और 512 एमबी रैम के साथ ही 4 जीबी की इंटरनल हार्ड डिस्क भी मौजूद है। इसके चलते इस कंप्यूटर की स्टोरेज क्षमता भी बेहतर हो जाती है। मिनी कंप्यूटर में वाईफाई, 2.0 यूएसबी पोर्ट, एचडीएमआई पोर्ट के अलावा 32 जीबी तक मैमोरी बढ़ाने की क्षमता है। मिनी कंप्‍यूटर में लगी हुई ऑलविनर ए10 चिप की वजह से माइक्रोएसडी कार्ड को उबंतू और लीनिक्‍स में भी इसे प्रयोग कर सकते हैं। मिनी कंप्‍यूटर के प्रमुख फीचर- 4.0 एंड्रॉएड ओएस 512 एमबी रैम मिनी स्‍क्‍यूल ड्राइव 1 गीगाहर्ट का कार्टेक्‍स प्रोसेसर ए8 चिप माइक्रोएसडी कार्ड स्‍लॉट 32 जीबी एक्‍पेंडेबले मैमोरी 2.0 यूएसबी पोर्ट ए10 चिप Related Articles: सावधान! फेसबुक पर चैटिंग से कंप्‍यूटर को खतरा.

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ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਦੀ ਖੇਤੀ ਦੇ ਫਾਇਦੇ

ਅੱਜਕਲ ਦੀ ਤੇਜ਼-ਤਰਾਰ ਅਤੇ ਭੱਜ-ਦੌੜ ਵਾਲੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਅਸੀਂ ਪੈਸਾ ਕਮਾਉਣ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਸਿਹਤਮੰਦ ਅਤੇ ਫਿੱਟ ਵੀ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਾਂ। ਇਹ ਵੀ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਸਾਡੀ ਚਮੜੀ ਮੁਲਾਇਮ, ਆਕਰਸ਼ਕ ਅਤੇ ਕੋਮਲ ਬਣੀ ਰਹੇ। ਜੇਕਰ ਅਸੀਂ ਆਪਣੀ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਰੀਏ ਤਾਂ ਇਹ ਸੰਭਵ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਦਾ ਜਨਮ ਉੱਤਰੀ ਅਫਰੀਕਾ ਵਿਚ ਹੋਇਆ ਸੀ ਅਤੇ ਅੱਜ ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਹਰੇਕ ਕੋਨੇ ਵਿਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਵਿਚ ਅਜਿਹੀ ਔਸ਼ਧੀ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੁਦਰਤੀ ਹੈ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਵਿਚ ਜ਼ਰੂਰੀ ਵਿਟਾਮਿਨ, ਖਣਿਜ ਪਦਾਰਥ ਅਤੇ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਨੂੰ "he 8erb of 9mmortality ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੇ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਸਿਹਤ ਪੱਖੋਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ ਅਤੇ ਚੀਨ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਵਲੋਂ ਇਸ ਨੂੰ ਵੀ 8armonious Remedy ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਰਤੋਂ ਵਿਚ ਆਉਣ ਵਾਲੀ ਕਿਸਮ ਬਾਰਬਾਡੇਨਿਸ ਹੈ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਦੇ ਪੌਦੇ ਨੂੰ ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਰੱਖਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਦੇ ਪੌਦੇ ਨੂੰ ਗਮਲੇ ਵਿਚ ਵੀ ਲਗਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਨੂੰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪਾਣੀ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਖੁਸ਼ਕ ਤੇ ਮਾੜੀ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਵੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਗੁੱਦੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵਰਤਣ ਲਈ ਟਾਹਣੀ ਦਾ ਉਪਰਲਾ ਛਿਲਕਾ ਲਾਹ ਦਿਓ। ਛਿਲਕਾ ਉਤਾਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਸ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਚਿੱਟੇ ਰੰਗ ਦਾ ਪਦਾਰਥ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਗੁੱਦਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਾਂ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਨੂੰ ਜੂਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵਰਤਣ ਲਈ ਟਾਹਣੀ ਨੂੰ ਨਿਚੋੜ ਕੇ ਜੋ ਰਸ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਜੂਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਦੇ ਲਾਭ : 1. ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਖੂਨ ਵਿਚੋਂ ਕੋਲੈਸਟ੍ਰੋਲ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਨੂੰ ਘਟਾ ਕੇ ਬਲੱਡ ਪ੍ਰੈਸ਼ਰ ਨੂੰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰੱਖਦਾ ਹੈ। 2. ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਖੂਨ ਵਿਚ ਸ਼ੂਗਰ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਨੂੰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਟਰਾਈਗਲਿਸਰਾਈਜ਼ ਨੂੰ ਘਟਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਸ਼ੂਗਰ ਰੋਗੀਆਂ ਲਈ ਬਹੁਤ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ। 3. ਜੇਕਰ ਇਸ ਦੇ ਰਸ ਦਾ ਸੇਵਨ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਕਬਜ਼ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। 4. ਇਸ ਦੇ ਗੁੱਦੇ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਮਲ੍ਹਮ ਜ਼ਖ਼ਮਾਂ ਨੂੰ ਠੀਕ ਕਰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਖਾਰਿਸ਼ ਲਈ ਵੀ ਇਕ ਘਰੇਲੂ ਦਵਾਈ ਹੈ। 5. ਕੁਆਰ ਗੰਦਲ ਚਮੜੀ ਨੂੰ ਮੁਲਾਇਮ ਤੇ ਤਰੋਤਾਜ਼ਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ.

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Harpreet Singh
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ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ''ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਕਾਸ਼ਤ ''

ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ 'ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਕਾਸ਼ਤ' ਵੱਲ ਵੀ ਉਚੇਚਾ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਫੁੱਲਾਂ ਦਾ ਵਪਾਰ ਵਿਸ਼ਵ ਪੱਧਰ ਤੇ ਹੰਦਾ ਹੈ।ਘਰੇਲੂ ਮੰਡੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਖਪਤ ਕਾਫੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰ ਕੇ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਖੇਤੀ ਦੀਆਂ ਕਾਫੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸੰਭਾਵਨਾਵਾਂ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਈਆਂ ਹਨ। ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਪੌਣ ਪਾਣੀ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਕਾਸ਼ਤ ਲਈ ਬਹੁਤ ਅਨੁਕੂਲ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਹੋਰ ਕਿਸਾਨ ਵੀਰਾਂ ਨੂੰ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਕਾਸ਼ਤ ਜ਼ਰੂਰ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸੌਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਕਾਸ਼ਤ ਕਰ ਕੇ ਤਾਜੇ-ਫੁੱਲ, ਸੁਕਾਏ ਹੋਏ ਫੁੱਲ, ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਬੀਜ਼, ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਗੰਢੇ, ਟਿਸ਼ੂ ਕਲਚਰ ਰਾਹੀਂ ਤਿਆਰ ਜਾਂ ਗਮਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਪੌਦੇ ਤਿਆਰ ਕਰਕੇ ਵੇਚੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਫੁੱਲਾਂ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਇਤਰ ਵੀ ਬਹੁਤ ਮਹਿੰਗਾ ਵਿਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਚੌਖਾ ਮੁਨਾਫ਼ਾ ਦੇ ਦਿੰਦਾ ਹੈ। ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਪੈਦਾ ਕੀਤੇ ਹੋਏ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਬੀਜ਼ ਹੋਰਨਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਭੇਜੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।

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ਸਿਹਤਮੰਦ ਰਹਿਣ ਲਈ ਰੋਜ਼ ਖਾਓ ਸੇਬ, ਸੰਤਰਾ ਤੇ ਪਿਆਜ਼

ਜੇਕਰ ਤੁਸੀਂ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ ਕਿ ਤੁਸੀਂ ਸਿਹਤਮੰਦ ਰਹੋ ਤਾਂ ਰੋਜ਼ ਸੇਬ, ਸੰਤਰਾ ਅਤੇ ਪਿਆਜ਼ ਖਾਓ। ਤੁਸੀਂ ਉਸ ਹਰ ਬੀਮਾਰੀ ਤੋਂ ਮੁਕਤ ਹੋ ਰਹੋਗੇ ਜੋ ਖੂਨ ਦੇ ਥੱਕੇ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਤੁਹਾਡੀ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਇਕ ਸੇਬ ਅਤੇ ਇਕ ਸੰਤਰੇ ਦੀ ਆਦਤ ਹੈ ਤਾਂ ਖੂਨ ਦੇ ਥੱਕੇ ਜੰਮਣ ਦੀ ਬੀਮਾਰੀ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਮੁਕਤ ਹੋ ਜਾਓਗੇ। ਇਕ ਖਬਰ ਮੁਤਾਬਕ ਹਾਰਵਰਡ ਮੈਡੀਕਲ ਸਕੂਲ ਦੇ ਇਕ ਦਲ ਨੇ ਪਾਇਆ ਕਿ ਸੇਬ, ਸੰਤਰਾ ਅਤੇ ਪਿਆਜ਼ 'ਚ ਰੂਟੀਨ ਨਾਮਕ ਰਸਾਇਣ ਧਮਨੀਆਂ ਅਤੇ ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ 'ਚ ਖੂਨ ਦੇ ਥੱਕੇ ਜੰਮਣ ਤੋਂ ਰੋਕ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮੰਨਣਾ ਹੈ ਕਿ ਰੂਟੀਨ ਕਾਲੀ ਅਤੇ ਹਰੀ ਚਾਹ 'ਚ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਇਸਦਾ ਭਵਿੱਖ 'ਚ ਦਿਲ ਦਾ ਦੌਰਾ ਪੈਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਇਲਾਜ 'ਚ ਇਸਤੇਮਾਲ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਸ਼ੋਧਕਰਤਾਵਾਂ ਨੇ ਪਾਇਆ ਕਿ ਰੂਟੀਨ ਰਸਾਇਣ ਨੇ ਉਸ ਖਤਰਨਾਕ ਅੰਜਾਇਮ ਨੂੰ ਰੋਕਣ 'ਚ ਮਦਦ ਕੀਤੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਖੂਨ ਦਾ ਥੱਕਾ ਜੰਮਦਾ ਹੈ। ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਡਾਇਸਲਫਾਇਡ ਆਈਸੋਮਰੇਜ (ਪੀ. ਡੀ. ਆਈ.) ਨਾਮਕ ਦਾ ਇਹ ਅੰਜਾਇਮ ਬੇਹੱਦ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਅਸਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਧਮਨੀਆਂ ਅਤੇ ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ 'ਚ ਖੂਨ ਦਾ ਥੱਕਾ ਜੰਮਦਾ ਹੈ। ਵਿਗਿਆਨਿਕਾਂ ਨੇ ਕੰਪਿਊਟਰ 'ਤੇ ਵਿਗਿਆਨਿਕ ਮਾਡਲਾਂ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਪੀ. ਡੀ. ਆਈ. ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਰੂਟੀਨ ਸਮੇਤ 500 ਵੱਖ-ਵੱਖ ਰਸਾਇਣਾਂ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਦੀ ਜਾਂਚ ਕੀਤੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਰੂਟੀਨ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਾਰਗਰ ਪਾਇਆ।

ਵਿਗਿਆਨੀਆਂ ਨੇ ਲੱਭਿਆ ਬਿਨਾਂ ਖਾਧੇ ਜਿਊਂਦਾ ਰਹਿਣ ਵਾਲਾ ਜੀਵਾਣੂ

ਸਾਡੇ ਲਈ ਇਕ ਦਿਨ ਭੁੱਖਾ ਰਹਿਣਾ ਕਿੰਨਾ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਪਰ ਕੋਈ ਅਜਿਹਾ ਵੀ ਹੈ ਜਿਸਨੇ ਪਿਛਲੇ 8.6 ਕਰੋੜ ਸਾਲਾਂ ਤੋਂ ਕੁਝ ਵੀ ਨਹੀਂ ਖਾਧਾ ਹੈ। ਦਰਅਸਲ, ਵਿਗਿਆਨੀਆਂ ਨੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਂਤ ਮਹਾਸਾਗਰ ਦੇ ਤਲ ਵਿਚ ਕੁਝ ਅਜਿਹੇ ਜੀਵਾਣੂ ਲੱਭੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜਿਊਂਦੇ ਰਹਿਣ ਲਈ ਭੋਜਨ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ। ਵਿਗਿਆਨੀਆਂ ਨੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਂਤ ਗ੍ਰੇ ਦੇ ਤਲ ਵਿਚ ਇਕ ਨਰਮ ਲਾਲ ਕਲੇਅ ਵਿਚੋਂ ਇਸ ਜੀਵਾਣੂ ਨੂੰ ਲੱਭਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਜੀਵਾਣੂ ਨੂੰ ਜਿਊਂਦਾ ਰਹਿਣ ਲਈ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਪੋਸ਼ਕਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਪ੍ਰਸ਼ਾਂਤ ਗ੍ਰੇ ਉਹ ਥਾਂ ਹੈ ਜਿਥੇ ਮਹਾਸਾਗਰ ਵਿਚ ਡਿੱਗਣ ਵਾਲਾ ਸਾਰਾ ਅਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਕਚਰਾ ਜਮ੍ਹਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਖੋਜਕਾਰਾਂ ਦਾ ਮੰਨਣਾ ਹੈ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਨੇ ਪਿਛਲੇ 8.6 ਕਰੋੜ ਸਾਲਾਂ ਵਿਚ ਹੱਥ ਵੀ ਨਹੀਂ ਲਗਾਇਆ ਹੈ। ਇਹ ਡਾਇਨਾਸੋਰ ਦੇ ਲਾਪਤਾ ਹੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਉਥੇ ਮੌਜੂਦ ਹਨ।

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ਦੇਰ ਰਾਤ ਖਾਣ ਨਾਲ ਵਧ ਸਕਦੈ ਮੋਟਾਪਾ

ਇਹ ਪਤਾ ਹੈ ਕਿ ਫੈਟ ਯੁਕਤ ਭੋਜਨ ਕਰਨ ਨਾਲ ਤੁਸੀਂ ਮੋਟੇ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹੋ। ਹੁਣ ਭਾਰਤੀ ਖੋਜਕਾਰਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਿਚ ਕੀਤੇ ਗਏ ਇਕ ਅਧਿਐਨ ਵਿਚ ਦਾਅਵਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਰਾਤ ਨੂੰ ਦੇਰ ਨਾਲ ਭੋਜਨ ਕਰਨ ਨਾਲ ਵੀ ਤੁਹਾਡਾ ਭਾਰ ਵਧ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਕੈਲੀਫੋਰਨੀਆ ਵਿਚ ਸਾਲਕ ਇੰਸਟੀਚਿਊਟ ਫਾਰ ਬਾਇਓਲਾਜੀਕਲ ਸਟਡੀਜ਼ ਨੇ ਪਾਇਆ ਕਿ ਇੰਟਰਨੈੱਟ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਜਾਂ ਦੇਰ ਰਾਤ ਫਿਲਮ ਦੇਖਣ ਦੌਰਾਨ ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਖਾਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਇਸ ਨਾਲ ਮੋਟਾਪਾ ਵਧਣ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਅਧਿਐਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸਹਾਇਕ ਪ੍ਰੋਫੈਸਰ ਡਾ. ਸਚਿਤਾਨੰਦਨ ਪਾਂਡਾ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਦਿਨ ਦੇ ਕੁਝ ਸਮੇਂ ਅੰਤੜੀ ਅਤੇ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਿਚ ਰੁੱਝੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਦਕਿ ਹੋਰ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਉਹ ਸੁਸਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ।

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यह बात एक अध्ययन में समाने आई

यदि कोई पुरूष या महिला रोज एक गिलास अनार का जूस पीता है, तो उसे पावर बढ़ाने के लिए किसी भी तरह के वियाग्रा की जरूरत नहीं है। यह बात एक अध्ययन में समाने आई है। इसमें कहा गया है कि अनार का जूस वियाग्रा की तरह सेक्स पावर बढ़ाने में सहायक होता है। रिसर्च के मुताबिक, अनार का जूस सेक्स की इच्छा को जगाने वाले हॉर्मोन टेस्टास्टेरॉन की मात्रा को बढ़ाता है। प्रतिदिन जूस पीने से यह मात्रा 16 से 30 फीसदी तक बढ़ जाती है। इतना ही नहीं सेक्स की इच्छा जागृत होने के साथ-साथ उस शख्स की मेमोरी और मूड भी ठीक रहता है। शोधकर्ताओं ने यह प्रयोग करीब 58 लोगों पर किया। इनकी उम्र 21 से 64 साल के बीच थी। इस लिहाज से अनार का जूस पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए कारगर है। दोनों बराबर असरदार है। जबकि वियाग्रा जैसी मेडिसिन सिर्फ पुरूषों के लिए कारगर है। बताते चलें कि कुछ साल पहले भी अनार के जूस को लेकर एक रिसर्च किया था। इसमें भी पाया गया था कि यह फल दिल को स्वस्थ रखने और ब्लड सर्कुलेशन के लिए भी कारगर रहता है। इसका जूस पीने से नेगेटिव इमोशन में कमी और पॉजिटिव इमोशन में बढ़त होती है।

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ज्योतिर्लिग दर्शन के लिए चंडीगढ़ से स्पेशल ट्रेन रवाना होगी


यदि आप धार्मिक स्थलों की यात्रा पर जाना चाहते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉपरेरेशन (आईआरसीटीसी) धार्मिक व पर्यटन स्थलों के लिए जून से दिसंबर के बीच पांच स्पेशल ट्रेनें चलाने जा रही है। शुरुआत होगी ज्योतिर्लिग दर्शन से। इसके लिए 25 जून को चंडीगढ़ से एनजेडबीडी-49 नाम से स्पेशल ट्रेन रवाना होगी। सात ज्योतिर्लिग दर्शन के बाद यह ट्रेन 6 जुलाई को लौटेगी। आईआरसीटीसी के सीनियर रीजनल मैनेजर आरके सोंध ने बताया कि जल्द ही बुकिंग शुरू हो जाएगी। शिरडी स्पेशल शिरडी साईं बाबा के दर्शन के लिए भी स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है। यह ट्रेन 30 जुलाई को अंबाला कैंट से चलेगी। इसकी वापसी 2 अगस्त को होगी। सिख स्पेशल नांदेड साहिब के दर्शन के लिए सरहिंद से सिख स्पेशल ट्रेन चलेगी। यह ट्रेन 25 जुलाई को चलेगी और 29 जुलाई को लौट आएगी। इसमें स्लीपर, एसी थ्री और एसी टू कोच होंगे। दक्षिण स्पेशल रामेश्वरम, तिरुपति, कन्याकुमारी, मदुरै और शिरडी के लिए चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से दक्षिण स्पेशल ट्रेन 13 अगस्त को रवाना होगी। यह ट्रेन 12 दिन की लंबी यात्रा के बाद 24 अगस्त चंडीगढ़ वापस लौटेगी। खर्च कितना आईआरसीटीसी के सीनियर रीजनल मैनेजर आरके सोंध ने बताया कि सेकेंड क्लास स्लीपर के टिकट सहित रहने, खाने व ठहरने का खर्च 500 रुपये प्रतिदिन होगा। ट्रेनों में एसी-थ्री और एसी-टू के कोच भी होंगे। इसका चार्ज अलग होगा। इस बार खास बात यह रहेगी कि धार्मिक स्थलों पर जाने वाले यात्रियों का आईआरसीटीसी बीमा भी करेगा। न्यू ईयर पर गोवा स्पेशल अगला न्यू ईयर यदि गोवा में मनाना चाहते हैं तो आईआरसीटीसी यह इच्छा पूरा करने के लिए तैयार है। 22 दिसंबर को चंडीगढ़ से गोवा स्पेशल ट्रेन चलेगी।

कोल ड्रिंक्स पीने वाले हो जाएं सावधान, ये सच्चाई आपको कर देगी हैरान

यदि गर्मी में प्यास के नाम पर आप कोल ड्रिंक्स पीते है, तो सावधान हो जाइए। आपके लिए एक बुरी खबर है। जी हां, कोल ड्रिंक्स पीने वाले लोग कुछ समय बाद मूर्खों जैसा व्यवहार करने लगते हैं। कोल्ड ड्रिंक में मिलाई जाने वाली चीनी फ्रुकटोज याददाश्त को कमजोर कर देती है। इससे दिमाग की क्षमता घटने लगती है। यही चीनी डायबिटीज जैसी बीमारी में जानलेवा साबित होती है। यह खुलासा मशहूर शोध संस्थान यूएलसीए के शोधकर्ताओं ने किया है। उनके मुताबिक दो महीने तक लगातार कोल्ड ड्रिंक पीने से फ्रुकटोज दिमाग पर भारी असर करता है। इसकी वजह से लोग मूर्खों जैसे व्यवाहर करने लगते हैं। शोध में पाया गया कि जिन खाद्य पदार्थों में ज्यादा फ्रुकोटोज है। उसे लगातार खाने से दिमाग की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है। लंबे समय तक फ्रुकटोज वाले भोजन करने से सीखने की क्षमता और याद रखने की क्षमता घट जाती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कुछ विशेष मछली, अखरोट और बादाम इस चीनी के दुष्प्रभाव को कम करते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड भी इसके नुकसान को कम करता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड कार्ड लीवर आयल के रुप में बाजार में उपलब्ध है। डायबिटीज के मरीज के लिए फ्रुकटोज जहर के बराबर है।

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Harpreet Singh
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नारियल तेल के घरेलू नुस्खे


Coconut Oil1 80 Uses for Coconut Oil
 
रूखे और फटे होंठों पर सुबह शाम नारियल तेल लगाएं। रूखेपन की समस्या खत्म हो जाएगी। 

फटी एड़ियों के लिए रात में सोने से पहले पेट्रोलियम जैली के साथ नारियल तेल की मालिश करें। सुबह गुनगुने पानी से पैर धो लें। 

धब्बों की समस्या से परेशान हैं तो आधा चम्मच नारियल तेल में आधे नींबू का रस निचोड़े और चेहरे और कोहनी पर रगड़े, फिर गुनगुने पानी से धो लें। 

आंखों का मेकअप साफ करने के लिए कॉटन बॉल पर थोड़ा सा नारियल तेल डाले और हल्के हाथों से आंखों को साफ करें। 

नारियल के तेल की नहाने से पहले या फिर नहाने के बाद भी मालिश की जा सकती है। इससे त्वचा मुलायम और चमकदार रहेगी। 


Harpreet Singh


कब मिलता है सपनों का फल?


कब मिलता है सपनों का फल?
कब देखे हुए सपने होते है सच?
 
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व्यक्ति‍ दिन में सपने देखता है और रात को भी। दिन की नींद के दौरान आए सपनों को विकृत मन का दर्शन कहा जाता है। व्यक्ति जब मानसिक दृष्टि से बीमार होता है, तब दिन में स्वप्न देखता है। सपने में ऐसे दृश्यों का कोई महत्व नहीं होता। ये अर्थहीन हैं। 

रात्रि के समय देखे गए सपनों का फल रात्रि के विभिन्न पहरों या चरणों के अनुसार कहा जाता है, जो इस प्रकार है : -

1. 12 बजे से पूर्व देखा गया स्वप्न मन की विकृति होने के कारण अर्थहीन होता है, अत: भूल जाएं कि इसका कोई फल मिलेगा।

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2. 12 से 1 बजे तक- ऐसे सपनों का फल 3 वर्ष के अंतर्गत होता है। 

3. 1 से 2 बजे तक- इनका फल 1 वर्ष के बीच प्राप्त होता है। 

4. 3 से 4 बजे तक- इन सपनों का फल 6 महीने में मिलता है।

5. 4 से 5 बजे तक- इस दौरान देखे स्वप्न 3 महीनों में फलदायक हैं।

5. 5 से 6 बजे प्रात:- ऐसे सपनों के फलीभूत होने का समय 1 महीना है।

7. प्रात: आंख खुलने से तुरंत पूर्व के स्वप्नों को दृष्टांत कहा जाता है। 

ऐसे सपने भाग्यशाली व्यक्तियों को आते हैं जिनका मन स्वस्थ एवं स्थिर होता है। प्रात: कालीन स्वप्न सीधे रूप में भविष्यवाणी या भावी दर्शन का रूप होते हैं।
संबंधित जानकारी 
 

Time is more valuable than money


Time is more valuable than money. You can get more money, but you cannot get more time.

क्या आपके दांतों में लगता है ठंडा-गरम?


दांतों में ठंडा- गरम लगना एक बहुत आम समस्या है। हाजमा दुरुस्त नहीं रहने के कारण एसिडिटी इसकी एक बड़ी वजह है। बहुत अधिक एसिडिटी हो जाने पर पेट का एसिड खट्टे पानी के रूप में मुंह में आता रहता है। कैल्शियम से बने दांत की परत एसिड के संपर्क में आने से गलने लगती है। दांत का सुरक्षा कवच गलकर निकल जाने से ही दांतों में ठंडा या गरम महसूस होता है।

खाने-पीने की खराब आदतों एवं बढ़ते तनाव की वजह से एसिडिटी बढ़ती चली जा रही है। साथ ही सवाल उठता है कि दांत में ऐसा क्या हो जाता है कि उसे ठंडा पानी बर्दाश्त नहीं होने लगता है। दांत के भीतर के संवेदनशील भागों की रक्षा के लिए सबसे ऊपर एक परत होती है जिसे एनेमेल कहते हैं। लेकिन हमारी विभिन्न बुरी आदतों की वजह से वह परत पतली होती चली जाती है। एनेमेल के भीतर की परत को डेंटीन कहते हैं। 

डेंटीन तक तो ठीक है लेकिन जैसे ही डेंटीन की परत घिस जाती है तो पल्प आ जाता है जिसके भीतर नर्व (तंत्रिका) होता है। जब डेंटीन का आवरण भी घिस कर खत्म हो जाता है तो फिर नर्व के पानी के संपर्क में आने से इसमें दर्द होने लगता है। 

खाने, पीने, चबाने की अपनी खराब आदतों से दांत की रक्षा के लिए बनी ऊपरी परत को नुकसान पहुंचाने वालों के लिए भारी कष्ट का मौसम ठंड का होता है। जाड़े में इन 'नंगे' हुए दांतों को जो ठंड लगती है, उसके दर्द से पूरा शरीर सिहर उठता है। सुबह उठते ही ठंडे पानी से कुल्ला करते ही दांत में दर्द होने लगता है। 

दांतों के लिए ऊपरी परत समझिए एक स्वेटर की तरह ही है। कोल्ड ड्रिंक्स भी इस समस्या की वजह बन रही है। कोल्ड ड्रिंक्स (सभी एयरेटेड ड्रिंक्स) में भी अम्ल होता है। वह भी एनेमेल को एसिडिटी की तरह ही नुकसान पहुंचाता है। आज कल छोटे-छोटे बच्चे इस समस्या के साथ आने लगे हैं।

कई तरह से लगती है सुरक्षा कवच में सेंध 

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दरअसल होता यह है कि पान के साथ सुपारी चबाते रहने से उनका नर्व तो बाहर निकल आता है। लेकिन कत्थे की परत पानी से नर्व को बचाती रहती है। पान खाना छोड़ते ही पानी सीधे नर्व के संपर्क में आ जाता है। कुछ लोगों को नींद में दांत किटकिटाने की आदत होती है। इससे भी एनेमेल झड़ता है। 

हमेशा च्यूंगम चबाते रहने, पेंसिल चबाते रहने से जैसी आदतें भी एनेमेल को दांतों में ठंडा गरम लगना एक बहुत आम समस्या है। हाजमा दुरुस्त नहीं रहने के कारण एसिडिटी इसकी एक बड़ी वजह है। बहुत अधिक एसिडिटी हो जाने पर पेट का एसिड खट्टे पानी के रूप में मुंह में आता रहता है। 

कैल्शियम से बने दांत की परत एसिड के संपर्क में आने से गलने लगती है। दांत का सुरक्षा कवच गलकर निकल जाने से ही दांतों में ठंडा या गरम महसूस होता है। 

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नींबू और संतरे के रस भी एनेमेल को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन उतना नहीं। सुपारी खाने की आदत से भी दांत घिस जाते हैं। बहुत लोग होते हैं जो दिन भर सुपारी चबाते रहते हैं। इससे एनेमेल घिस जाता है। बहुत पान खाने वाले जब पान खाना छोड़ देते हैं तो उनको दांतों में ठंडा लगने लगता है।

विशेष टूथपेस्ट: संवेदनशील दांतों के लिए विशेष टूथपेस्ट उपलब्ध हैं। साधारण टूथपेस्ट के बजाय इनका उपयोग करें। व्हाइटनरयुक्त टूथपेस्ट का उपयोग नहीं करें, यह दांतों पर कठोरता से काम करते हैं। इनसे तकलीफ बढ़ जाती है।

ब्रश हो नरम : सॉफ्ट या एक्स्ट्रा सॉफ्ट ब्रश का ही उपयोग करें। कड़क ब्रिसल्स से दांत घिसने लगते हैं। दांत संवेदनशील होने पर अक्सर लोगों को ब्रश करते हुए दर्द उठता है। कड़क ब्रिसल्स प्राकृतिक रूप से होने वाली मरम्मत के काम में भी अवरोध पैदा करते हैं। दांतों पर हल्के से ऊपर-नीचे ब्रश करें। ब्रश करने का तरीका गलत होने पर भी संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
TIPS
स्वस्थ रखें दांत
10 ग्राम बायविडंग और 10 ग्राम सफेद फिटकरी थोड़ी कूटकर तीन किलो पानी में उबालें। एक किलो बचा रहने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें। तेज दर्द में सुबह तथा रात को इस पानी से कुल्ला करने से दो दिन में ही आराम आ जाता है। कुछ अधिक दिन कुल्ला करने से दाँत पत्थर की तरह मजबूत हो जाते हैं। 

अमरूद के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करने से दाँत और दाढ़ की भयानक टीस और दर्द दूर हो जाता है। प्रायः दाढ़ में कीड़ा लगने पर असहय दर्द उठता है। काढ़ा तैयार करने के लिए पतीले में पानी डालकर उसमें अंदाज से अमरूद के पत्ते डालकर इतना उबालें कि पत्तों का सारा रस उस पानी में मिल जाए और वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।
 
ND


यह सही है कि दांत के दर्द का इलाज महंगा होता है लेकिन अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए और कुछ आदतें डाल ली जाएं तो आप लंबे समय तक दांतों के डॉक्टर के पास जाने से बच सकते हैं क्योंकि डेंटिस्ट के पास लगातार जाना किसी सिरदर्द से कम नहीं है। यहां पेश है ऐसे ही 10 खास तरीके जिन्हें आजमा कर आप चमकती मुस्कान पा सकते हैं। 

1. दिन में कम से कम आठ से दस ग्लास पानी पिएं। जितना पानी आप पिएंगें उतना ही आपके दांत साफ होंगें। इसके अलावा यह चाय, कॉफी, शराब, सोडा आदि के दागों को भी दांतों से मिटाने में कारगर साबित होगा। 

2. अपने खाने में फल और सब्जी शामिल करें। सेब, खीरा, गाजर आपके दांतों को प्राकृतिक रूप से साफ करते हैं। यह आपके दांतों में फंसे खाने को भी निकालते हैं और मसूड़ों की समस्या दूर होती है। 

3. खाने के बाद पनीर का टुकड़ा खाने से आपके दांत चमकदार रहते हैं। 

4. शुगर फ्री च्यूइंगम खाने से सलाइवा का निर्माण होता है जो आपके दांतों से प्लाक एसिड को साफ करता है। साथ ही आपके दांतों के इनैमल को मजबूत बनता है। 

5. जूस और सोडा पीने के बाद ब्रश नहीं करना चाहिए। हो सके तो कॉफी और वाइन स्ट्रॉ से पिएं। इससे इनका सीधा संपर्क आपके दांतों से नहीं हो पाएगा और आपके दांत हमेशा चमकते रहेंगें। 



6. हमेशा सॉफ्ट ब्रश का इस्तेमाल करें। अगर आप सख्त ब्रश का इस्तेमाल करते हैं तो उसे कुछ देर गर्म पानी मे डुबोकर फिर ब्रश करें। 

7. चॉकलेट व कैंडी बार भी आपके दांतों के लिए नुकसानदेह हैं। इनकी जगह बादाम, वेजमाइट क्रैकर्स चीज के साथ दही और ताजा फल आदि खाना चाहिए। 

8. दांतों के साथ ही जीभ की सफाई भी जरूरी है। टंग क्लीनर का इस्तेमाल रोजाना करें। यह आपके दांतों को हाईजीनिक बनाएं रखता है, साथ ही मुंह से आने वाली बदबू को भी दूर करता है। 

9. चीनी और स्टॉर्च का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। यह बैक्टीरिया पैदा करते हैं जो आपके दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं। 

10. खाने के बाद दांतों को हाइड्रोजन पेरॉक्साइड से साफ करना चाहिए, ताकि आपके दांतों से बैक्टीरिया दूर हों और वे सुंदर दिखें। मगर हमेशा एक बात का ध्यान रखें कि हाइड्रोजन पेरॉक्साइड को निगलना नहीं चाहिए। इससे सिर्फ गरारे करने चाहिए।


Harpreet Singh
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हमारी एक रोटी की कीमत में 'यहां' मिलता है 2 लीटर पेट्रोल


    भारत में पेट्रोल की कीमतें लगातार आम आदमी की जेब दुनिया काटने में लगी हुई हैं। वहीं दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां पेट्रोल पानी से भी सस्ता मिलता है। दुनिया में सबसे सस्ता पेट्रोल इसी देश में मिलता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा कौन सा देश है, तो जनाब वो जगह वेनेजुएला का काराकस है। काराकस में 1 लीटर पेट्रोल की कीमत 3 रुपये से भी कम है। यहां लोगों को हर लीटर पेट्रोल के लिए 2.49 पैसे चुकाने होते हैं। यहां की 90 फीसदी से ज्यादा की अर्थव्यवस्था केवल तेल पर ही टिकी हुई है। इस देश में पेट्रोल नदियों में पानी की तरह हर जगह बहता है। हालांकि यहां के लोगों को पानी के लिए पेट्रोल से भी ज्यादा कीमत चुकानी होती है। दिलचस्प है कि 1980 में काराकस सरकार ने पेट्रोल की कीमते बढ़ाने के प्रयास किये थे। इस प्रयास के चलते यहां भारी दंगा मच गया था, जिसमें सैंकड़ों लोगों की मौत भी हो गई थी। दुनिया में दूसरे नंबर पर सबसे सस्ता तेल रियाद में मिलता है। यहां पर लोगों को प्रति लीटर तेल के लिए 6.70 रुपये चुकाने होते हैं। यहां भी काराकस की तरह पानी के लिए पेट्रोल से ज्यादा पैसा चुकाना होता है।

'सड़कें ठीक नहीं तो टोल टैक्स क्यों'

राष्ट्रीय राजमार्गों पर जगह-जगह टोल टैक्स वसूली की नीति सुप्रीम कोर्ट के निशाने पर है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि यदि सड़कें ही पूरी तरह दुरुस्त नहीं हैं तो फिर टोल टैक्स किसी बात का लिया जा रहा है। जस्टिस डीके जैन और अनिल आर दवे की बेंच ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से टोल टैक्स नीति पर सफाई मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने सवाल में कहा कि, 'आपकी नीति क्या है। जनता को उसके बारे में पता होना चाहिए। सड़कों का निर्माण केवल बिल्डर्स और ठेकेदारों के फायदे के लिए नहीं होना चाहिए। हम आपकी नीति को नहीं समझ पा रहे हैं। यदि आप अच्छी सड़क ही नहीं मुहैया करा सकते तो फिर लोग टोल टैक्स क्यों दें? सड़कों की हालत देखिए। इससे आए दिन गंभीर हादसे होते हैं। लेकिन फिर भी यात्रियों को टोल टैक्स देना होता है।' सुप्रीम कोर्ट एक एनजीओ 'पीपुल्स वॉइस' की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। एनजीओ ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय राजमार्गों पर मनमाना टोल टैक्स वसूलने से रोकने के लिए निर्देश की मांग की है। हालांकि यह याचिका दिल्ली को गुडग़ांव से जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 के सिलसिले में थी। लेकिन कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह याचिका को पूरे देश के लिए विस्तृत करे। शीर्ष कोर्ट की बेंच टोल टैक्स वसूलने के तरीके पर नाखुश दिखी। कोर्ट ने कहा पहले आपने आठ लेन का राजमार्ग बनाया। अब पुल बनाने के नाम पर आपने इसे फिर से खोद डाला। आप फिर भी उनसे टोल टैक्स वसूल रहे हैं। वह भी हर 10-15 किलोमीटर पर। यह आम लोगों के लिए उचित नीति नहीं है।

जितनी ज्यादा पीयेंगे शराब, उतना भारी देना होगा जुर्माना

अगर आप शराब पीकर तेज रफ्तार में गाड़ी चलाते हैं, तो आप आपको संभल जाने की जरूरत है। जी हां, अब गाड़ी चलाने वाला जितना शराब पीये होगा, उतना ही जुर्माना उसे देना होगा। यानि ड्राइवर ने कितनी शराब पी है और गाड़ी की रफ्तार कितनी है, इस आधार पर अब जुर्माना तय होगा। वहीं सड़क दुर्घटना में मरने पर 1 लाख रुपये मिलेंगे। घायलों को भी 50 हजार रुपये दिये जाएंगे। इतना ही नहीं इस मुआवजे में मुद्रा स्फीति दर से हर 3 साल में इजाफा होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा मोटरयान अधिनियम संशोधन विधेयक में ऐसा बदलाव किया जा रहा है। ये संशोधन राज्यसभा में पारित भी हो चुका है। ऐसे में नए नियम के मुताबिक, ड्राइवर ने किस मात्रा में शराब पी है और कितनी रफ्तार से वाहन चला रहा है, इस बात पर जुर्माना तय किया जाएगा। Related Articles: इस शाही ट्रेन के रॉयल सफर का किराया है इतना, आ जाएगी लक्जरी कार... गूगल लायेगी दुनिया की ये पहली कार, बस बैठिए और चल दीजिए महंगे पेट्रोल से मिलेगी निजात,टाटा लाएगी हवा से चलने वाली कार! ये हैं भारत में मिलने वाली 5 सबसे सस्ती स्पोर्ट्स कार नैनो नहीं यह है दुनिया की सबसे छोटी कार,गिनीज बुक में दर्ज है नाम बिना 1 रूपये खर्च किये मुफ्त में चलेगी ये कार खरीद लो कार, फिर नहीं मिलेगा ऐसा सुनहरा मौका कार रखने वालों के लिए आ गई जरुरी खबर! कभी देखी है आपने ऐसी कार..जल्द आयेगी बाजार में.

सड़क पर दौड़ेगी बिना ड्राइवर की गूगल कार

लॉस एंजिलिस। सड़क पर अपने आप चलती कार, न कोई ड्राइवर न ही ट्रैफिक के किसी नियम को तोड़ने का खतरा, जहीं साइंस फिक्शन फिल्मों की कल्पना वाली यह तस्वीर अब सच्च्चई होगी। जल्द ही नेवादा की सड़कों पर यह सच होगा। इसे सच करने जा रहा है गूगल। अपने सर्च इंजिन और ई-मेल सेवाओं के लिए जानी जाने वाली गूगल को अमेरिका में अपनी स्वचालित कारों के परीक्षण का लाइसेंस मिल गया है। वह नेवादा की व्यस्त आम सड़कों पर बिना चालक के चलने वाली इन कारों का परीक्षण करेगी। नेवादा में मोटर वाहन विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने गूगल को देश में अपनी तरह का पहला लाइसेंस दिया है। विभाग के बयान में क हा गया है कि उसने कई जगह के प्रदर्शन को देखने के बाद यह विशेष लाइसेंस जारी किया है। स्वचालित वाहन की इस परियोजना को गूगल के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वह कई वर्षो से इस परियोजना पर काम कर रही है। इस कार से अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुके लोगों और अन्य जरूरतमंद लोगों को मदद मिलेगी। साथ ही गूगल का कहना है कि इस कार से दुर्घटनाएं कम की जा सकेंगी क्योंकि 90 फीसदी दुर्घटनाएं मानवीय भूल से होती हैं।

चंडीगढ़ बिजली 10.5% तक महंगी हो गई है

चंडीगढ़. बिजली का बिल ज्यादा चुकाने के लिए तैयार रहिए। शहर में बिजली महंगी हो गई है। दरों में 9.52 से 10.52 फीसदी तक इजाफा हो गया है। नई दरें 1 मई से लागू मानी जाएंगी। जॉइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (जेईआरसी) चेयरमैन से प्रशासन को दरें बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है। इस संबंध में ऑर्डर 7 मई को जारी हुआ। होंगे तीन स्लैब बिजली के मौजूदा टैरिफ प्लान में दो स्लैब हैं। नई प्लान में तीन स्लैब होंगे। तीसरी स्लैब 400 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च करने पर लागू होगी। पहले 151 यूनिट से ऊपर बिजली खर्च करने पर दूसरा स्लैब लागू होता था। प्रशासन ने मांगी थी मंजूरी प्रशासन ने शहर में बिजली सप्लाई करने पर सालाना 332.25 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा था। इसे कम करने के लिए प्रशासन ने जॉइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (जेईआरसी) के पास 30 दिसंबर 2011 में याचिका दायर करके दरें बढ़ाने की मंजूरी मांगी थी। याचिका में कहा गया था कि अप्रैल 2011 मे 16 से 30 फीसदी दरें बढ़ाए जाने के बाद भी 2010-11 का घाटा 161.90 करोड़ रुपये रहा। बिजली खरीद के दाम पिछले कई सालों से महंगे होने के कारण घाटा बढ़ रहा है। इसे बिजली दरें बढ़ाकर ही पूरा किया जा सकता है। इस पर जेईआरसी चेयरमैन वीके गर्ग ने 5 मार्च को सेक्टर-19 स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में पब्लिक की राय भी सुनी थी।

परीक्षा हॉल में ले जाइए पानी, बढ़ेंगे मार्क्‍स

 एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि अगर आप परीक्षा कक्ष में अपने साथ पानी की बोतल लेकर जाते हैं, तो इससे आपके अंकों में वृद्धि हो सकती है. वेस्ट मिन्सटर विश्वविद्यालय में हुए इस शोध के शोधार्थियों ने बताया कि जो लोग परीक्षा में कोई पेय पदार्थ, खासकर पानी, लेकर आते हैं वे कोई भी पेय न लाने वालों की तुलना में लगभग दस प्रतिशत ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करते हैं. अपने अध्ययन के लिए शोधार्थियों ने डिग्री कोर्स के पहले और दूसरे वर्ष के साथ ही पूर्व-डिग्री स्तर के सैकड़ों विद्यार्थियों का अध्ययन करते हुए जानने की कोशिश की कि परीक्षा हॉल में पेय पदार्थ लाने का उन पर क्या प्रभाव पड़ता है? शोधार्थियों के मुताबिक, 'पेय पदार्थ साथ में लेकर आने वालों के प्रदर्शन में औसतन 5 प्रतिशत का सुधार होता है.' वहीं डेली टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, वैसे तो यह अस्पष्ट था कि पानी पीने से प्रदर्शन में सुधार कैसे हो सकता है, लेकिन मनोचिकित्सकों की मानें, तो शरीर में पानी की मात्रा बेहतर बनी रहने से दिमाग पर अच्छा असर पड़ता है. इसके अलावा यह पता होने पर कि आपके पास पानी की बोतल है, आप ज्यादा आश्वस्त महसूस करते हैं. इस अध्ययन को ब्रिटिश मनोचिकित्सकीय सोसाइटी के वार्षि सम्मेलन में पेश किया गया था.

ਪੈਦਲ ਤੁਰੋ ਪਰ ਬੋਲੋ ਨਾ

ਕਵੀਨਜ਼ਲੈਂਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਵਲੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਇਕ ਖੋਜ ਅਨੁਸਾਰ 'ਵਾਕਿੰਗ' ਜਾਂ 'ਪੈਦਲ ਤੁਰਨਾ' ਸਿਹਤ ਲਈ ਬਹੁਤ ਫਾਇਦੇਮੰਦ ਹੈ ਪਰ ਜੇ ਤੁਰਨ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਤੁਸੀਂ ਗੱਲਾਂ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ ਤਾਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਫਾਇਦੇ ਦੀ ਥਾਂ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ। 'ਦਿ ਆਸਟ੍ਰੇਲੀਆਨ ਨਿਊਰੋ ਸਾਇੰਸ ਸੁਸਾਇਟੀ' ਦੀ ਮੀਟਿੰਗ ਵਿਚ ਪੇਸ਼ ਇਸ ਖੋਜ ਦੇ ਮਾਹਿਰ ਮੰਨਦੇ ਹਨ ਕਿ ਇਸ ਨਾਲ ਪੇਟ ਦੀਆਂ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਤੇ ਰੀੜ੍ਹ ਦੀ ਸਥਿਰਤਾ 'ਤੇ ਮਾੜਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਅੱਗੇ ਤੋਂ ਜਦੋਂ ਵੀ ਤੁਸੀਂ ਵਾਕ ਕਰੋ ਤਾਂ ਕੁਝ ਵੀ ਬੋਲੋ ਨਾ।

ਅਸਰਦਾਰ ਹੁੰਦੈ ਲਸਣ

ਵਿਗਿਆਨੀਆਂ ਨੇ ਦਾਅਵਾ ਕੀਤਾ ਹੈ ਕਿ ਲਸਣ ਵਿਚ ਪਾਇਆ ਜਾਣ ਵਾਲਾ ਇਕ ਤੱਤ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਜ਼ਹਿਰੀਲਾ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੇ ਬੈਕਟੀਰੀਆ ਨਾਲ ਲੜਨ ਵਿਚ ਕਾਰਗਰ ਸਾਬਿਤ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮੰਨਣਾ ਹੈ ਕਿ ਖਾਣੇ ਵਿਚ ਲਸਣ 'ਐਂਟੀ ਬਾਇਓਟਿਕ' ਦਵਾਈਆਂ ਤੋਂ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਅਸਰਦਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਵਾਸ਼ਿੰਗਟਨ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਦੇ ਖੋਜਕਾਰਾਂ ਨੇ ਪਾਇਆ ਹੈ ਕਿ ਲਸਣ ਵਿਚ ਪਾਇਆ ਜਾਣ ਵਾਲਾ ਤੱਤ 'ਡਾਈਲਿਲ ਸਲਫਾਈਡ' ਵਿਸ਼ਾਣੂਆਂ ਵਲੋਂ ਬਣਾਈ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਜ਼ਹਿਰੀਲੀ ਪਰਤ ਨੂੰ ਤੋੜਨ ਵਿਚ ਕਾਮਯਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਨਾਲ ਹੀ ਇਹ ਤੱਤ ਨਾ ਸਿਰਫ ਦਵਾਈਆਂ ਨਾਲੋਂ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਬੇਹਤਰ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ ਸਗੋਂ ਘੱਟ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਹੀ ਅਸਰ ਕਰਦਾ ਹੈ।

ਸੇਬ ਦਾ ਜੂਸ ਪੀਓ, ਕੋਲੈਸਟ੍ਰੋਲ 'ਤੇ ਕਾਬੂ ਪਾਓ

ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਆਫ ਕੈਲੀਫੋਰਨੀਆ ਦੇ ਮਾਹਿਰਾਂ ਵਲੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਇਕ ਖੋਜ ਅਨੁਸਾਰ ਸੇਬ ਦਾ ਜੂਸ ਪੀ ਕੇ ਕੋਲੈਸਟ੍ਰੋਲ ਨੂੰ ਕਾਬੂ ਹੇਠ ਰੱਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਖੋਜ ਦੇ ਮਾਹਿਰ ਐਰਿਕ ਗਰਸ਼ਵਿਨ ਨੇ ਜਦੋਂ ਕੁਝ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਨੂੰ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਸੇਬ ਦਾ ਜੂਸ ਪਿਲਾਇਆ ਗਿਆ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਐੱਲ. ਡੀ. ਐੱਲ. ਕੋਲੈਸਟ੍ਰੋਲ ਵਿਚ 34 ਫੀਸਦੀ ਦੀ ਕਮੀ ਦੇਖੀ ਗਈ। ਮਾਹਿਰਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਹੈ ਸੇਬ ਵਿਚਲਾ ਤੱਤ 'ਫਿਨੋਲਸ'। ਇਹ ਰੈੱਡ ਵਾਈਨ ਵਿਚ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸੇ ਲਈ ਰੈੱਡ ਵਾਈਨ ਨੂੰ ਦਿਲ ਲਈ ਚੰਗੀ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਗਰਮੀ 'ਚ ਰੱਖੋ ਚਮੜੀ ਦਾ ਧਿਆਨ

 ਨਹਾਉਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਨਿੰਬੂ ਦਾ ਰਸ ਪਾ ਦੇਣ ਨਾਲ ਤੁਸੀਂ ਪੂਰਾ ਦਿਨ ਤਾਜ਼ਗੀ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰੋਗੇ। ਉਂਝ ਵੀ ਠੰਡੇ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਨਹਾਉਣ ਨਾਲ ਮਨ ਪ੍ਰਸੰਨ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਦਾ ਤਾਪਮਾਨ ਘਟ ਕੇ ਠੰਡਕ ਮਿਲਦੀ ਹੈ। * ਜੇ ਪੈਰਾਂ ਵਿਚ ਜਲਨ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਪੈਰ ਠੰਡੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਰੱਖੋ। ਹਲਕੀ ਮਸਾਜ ਵੀ ਠੀਕ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ। * ਗਰਮੀ ਦੇ ਮੌਸਮ 'ਚ ਸਾਬਣ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਘੱਟ ਤੋਂ ਘੱਟ ਕਰੋ। ਇਸ ਦੀ ਜਗ੍ਹਾ ਸ਼ਹਿਦ ਵਾਲੇ ਸ਼ਾਵਰ ਜੈੱਲ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰੋ। * ਜਦੋਂ ਵੀ ਬਾਹਰ ਜਾਣਾ ਹੋਵੇ, ਸਰੀਰ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਹਿੱਸਿਆਂ 'ਤੇ ਸਨਸਕ੍ਰੀਨ ਲੋਸ਼ਨ ਜ਼ਰੂਰ ਲਗਾਓ।